दोपहर के बारह बज रहे हैं और तमतमाती धूप से भरा यह मैदान. लोगों की तादाद इतनी ज़्यादा नहीं हुई कि इस छोटे से मैदान में धूप कमतर दिखे. हर कंधे पर गमछा है. धूप सीधी पड़ती है तो कंधे का गमछा सिर पर आ जाता है. महिलाएं मैदान से बाहर हैं. जैसे घरों में किसी कोने में होती हैं, वैसे ही अलग-अलग टुकड़ियों में हैरानी भरी निगाहों के साथ खेतों में खड़ी हैं.
बेगूसराय में बछवाड़ा के इस अयोध्या मैदान के आसमान में बुधवार को जब तेजस्वी यादव का हेलिकॉप्टर मंडराने लगा, तो अचानक से मैदान में हलचल हुई और छितराई भीड़ एक जगह होने लगी. सबकी निगाहें ऊपर हो गईं मानों ‘ऊपर वाला’ नीचे आ रहा हो. हेलिकॉप्टर मंच के ठीक बगल के घेरे में उतरा तो मिट्टी, पुआल और पॉलिथीन वाली धूल से पूरा मैदान यूं भरा कि कुछ देर के लिए लगा कि धूप डर गई हो.
पूरी भीड़ हेलिकॉप्टर के घेरे के पास आ गई. इन्हें धूल की बिल्कुल परवाह नहीं थी. कुछ देर बाद तेजस्वी हेलिकॉप्टर से उतरे तो बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र के आरजेडी प्रत्याशी तनवीर हसन फूलों की माला लेकर स्वागत करने पहुंचे.
तेजस्वी के पास भी गमछा था और वो बिना किसी को देखे धूल से बचने के लिए गमछे से मुंह बंद किए मंच की ओर भागे. मंच से नारे लगाए जा रहे हैं पर लोगों का ध्यान हेलिकॉप्टर पर है. नेता को सुनने से ज़्यादा हेलिकॉप्टर देखने वालों की भीड़ थी.छोड़िए
तेजस्वी ने बोलना शुरू किया. उन्होंने अपने पिता लालू प्रसाद यादव को ग़रीबों का मसीहा बताया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पलटु चाचा कहा. पीएम मोदी को झूठा कहा और बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान को ख़तरे में बताया.
तेजस्वी ने लोगों से कहा कि मनुवादी ताक़तों से लड़ाई है. रैली में आए लोगों से पूछा कि तेजस्वी के मनुवादी कहने का मतलब क्या है. ज़्यादातर लोगों ने नही बताया. कुछ लोगों ने कहा कि मनुवादी मतलब उनकी ताक़त. कुछ लोगों ने कहा कि मनुवादी मतलब लालू जी की ताक़त.
मैदान की बायीं तरफ़ खेतों में कुछ महिलाएं खड़ी हैं. उनसे पूछा कि कौन आया है? उनका जवाब था, ”राहुल यादव.” राहुल यादव क्या बोल रहे हैं? महिलाएं हंसती हुई कहती हैं – पता ना. फिर वो ख़ुद से कहती हैं, ”जो दारू बंद किया ऊ अच्छा काम है. दारू बंद करने वाला जीतेगा.” किसने दारू बंद किया है, ‘मोदी किया.’ हालांकि 2015 में नीतीश कुमार ने शराबबंदी तब की थी जब वो आरजेडी के साथ सरकार चला रहे थे.
तेजस्वी यादव ने शराबबंदी पर भी सवाल खड़े किए. तेजस्वी ने लोगों से पूछा, ”शराबबंदी है न? लेकिन पेल के दारू मिल रहा है न? ग़रीब तो ताड़ के पेड़ पर चढ़ रहा है लेकिन अमीर तो आज भी गटागट वही दारू पी रहा है.” तेजस्वी की इस बात पर लोगों के बीच से बहुत उत्साहजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली.
तेजस्वी अपने भाषण में पिता लालू की तरह भदेसपन लाने की कोशिश करते हैं लेकिन वो ला नहीं पाते हैं. लालू जब अपनी रैलियों में ऐसा करते थे वो सहज होते थे. उनकी बॉडी लैंग्वेज भी उसी तरह की होती थी.
कई लोगों का मानना है कि लालू भदेसपन और राजनीतिक सूझबूझ के पूरा पैकेज थे जबकि उनके दोनों बेटों में यह प्रतिभा अलग-अलग है. तेजप्रताप में वो भदेसपन है और तेजस्वी में वो सूझबूझ. तेजप्रताप अपनी बातों से लोगों को हँसाते तो हैं लेकिन समझ नहीं दिखती. दूसरी तरफ़ तेजस्वी समझ दिखाते हैं पर लोगों को जनसभाओं में अपनी बातों से बांध नहीं पाते.
तेजस्वी का भाषण चल रहा है, लेकिन हेलिकॉप्टर देखने वाले भी डँटे हुए हैं. वो एकटक देखे जा रहे हैं. इनके हावभाव देख ऐसा लग रहा मानो घेरे को तोड़ उसमें सवार हो जाएंगे.
कई बार कुछ लोगों ने अंदर घुसने की कोशिश भी की, तो पुलिस ने डंडा मार बाहर कर दिया. हेलिकॉप्टर देखने वाले कुछ युवाओं से पूछा कि बेगूसराय में कौन टक्कर में है- कुछ ने कहा मोदी-मोदी. तेजस्वी की रैली में आए हैं और मोदी-मोदी? इसके जवाब लोगों ने कहा, ”जहाज देखने आए हैं पर जीतेगा मोदी.”
कुल मिलाकर तेजस्वी का भाषण दस मिनट का रहा होगा. इन दस मिनट के भाषण में तेजस्वी बेगूसराय के चर्चित उम्मीदवार कन्हैया और बीजेपी के गिरिराज सिंह पर बोलने से बचते दिखे.
बीजेपी का ज़िक्र किया लेकिन गिरिराज का नहीं. कन्हैया का तो तेजस्वी ने नाम तक नहीं लिया. तेजस्वी कन्हैया की पार्टी सीपीआई को बिहार में एक ज़िले और एक जाति की पार्टी बताते हैं. मतलब तेजस्वी का मानना है कि बिहार में सीपीआई बेगूसराय और भूमिहारों की पार्टी है. ज़ाहिर है कन्हैया भी भूमिहार जाति से ही हैं.
बछवाड़ा बेगूसराय में यादव बहुल इलाक़ा है. यहां आरजेडी की मज़बूत ज़मीन रही है. तेजस्वी की रैली का मक़सद भी यही होगा कि यह ज़मीन पैरों तले से खिसके न.
रैली में आए राम बालक यादव का कहना है कि लालू के साथ अन्याय हुआ है. धोती-कुरता पहने क़रीब 60 साल के रामबालक यादव कहते हैं, ”सर, लालू के साथ अन्याय नहीं हुआ है? आप ही बताइए? उसी केस में जग्गनाथ मिसिर जेल से बाहर हैं और लालू जी को जेल में रखा है.’ रामबालक यादव की बातों से वहीं खड़े मोहम्मद हुसैन भी सहमति जताते हैं और कहते हैं कि तनवीर हसन जीत रहे हैं. हुसैन कहते हैं, ”कन्हैया अच्छा लड़का है पर वो निर्दलीय होता तो वोट देते. उसकी पार्टी ठीक नहीं है.”
रामबालक यादव और मोहम्मद हुसैन लालू के नब्बे के दशक के एमवाई यानी मुसलमान-यादव समीकरण की मिसाल की तौर पर लगे.
तेजस्वी यादव भाषण ख़त्म कर हेलिकॉप्टर में सवार हो गए. हेलिकॉप्टर के उड़ते ही एक बार फिर से मैदान में भीड़ से ज़्यादा धूल हो गई. मेरी आंखें भी धूल से बंद हो गईं. धूल छंटने के बाद आंखें खोलीं तो देखा कि सबकी निगाहें एक बार फिर से ऊपर हैं. ऊपर वाला चला गया और ज़मीन के लोग भी चल दिए. फिर इस मैदान में कोई दूसरा ‘ऊपर वाला’ आएगा.